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 गौवंश संरक्षण संबंधी अध्यादेश

गौवंश के संरक्षण के लिए अध्यादेश-

     गौवंश संरक्षण अध्यादेश को समझने से पहले यह देखें — गौ – माता को पीट – पीट कर मार डालने की क्रूरतापूर्ण, हिंसक और अमानवीय घटनाओं के घिनौनेपूर्ण व्यौहार पर लगाम लगाये जाने की आवश्यकता लम्बे समय से महसूस की जाती रही है, अब गौवध निवारण अधिनियम में सजा के प्रावधान सख्त किए जाने से उम्मीद जगी है कि लुक छिपकर गौवंश वध करने वाले वध शालाओं  और तस्करों में कानून का डर पैदा होगा और गौवंश पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे। आधुनिकीकरण और मशीनीकरण के बावजूद गौवंश कृषी प्रणाली का महत्वपूर्ण आधार है। सनातन जीवनशैली में गाय का दूध -घी अमृत सदृश माना जाता है, जबकि गोबर और मूत्र पवित्र। गाय का संरक्षण पूरी तरह मानवतावादी कृत्य है जिसे वध करना अमानवीय कार्य है। …

“गुरु दीक्षा मुक्ति एवं सफलता का साधन” !

“गुरु दीक्षा मुक्ति एवं सफलता का साधन”

दीक्षा लेने के साथ ही, हमारी अध्यात्मिक यात्रा का प्रारंभ हो जाता है। साधना में अनेक बाधाएं भी आ सकती हैं, लेकिन सद्गुरु उन बाधाओं को दूर करने में मदद करते हैं। विभिन्न धर्मों में दीक्षा लेने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। फिर भी अनेक लोग नहीं जानते कि आखिर दीक्षा में होता क्या है? दीक्षा है क्या? साधारण भाषा में कहें तो किसी गुरु की देख-रेख में एक साधना पद्धति को अपनाने का संकल्प ही दीक्षा है।

1- गुरु अपने शिष्य को साधना के गहन सूत्र बता कर उसके मस्तिष्क पर पूर्ण तंत्रिका तंत्र को अध्यात्म प्रवाह के लिए खोल देता है। लेकिन गुरु और अध्यापक में अंतर है। आजकल किसी को भी गुरु कहना फैशन बन गया है। गु’ का अर्थ है। अंधकार और ‘रु’ का अर्थ है दूर करने वाला। यानी जो आपके भीतर के अंधकार को हमेशा के लिए जो दूर कर दे, वह गुरु है।

2- मनुष्य के तीन शरीर होते हैं- पहला- स्थूल शरीर, दूसरा- सूक्ष्म शरीर और तीसरा- कारण शरीर। स्थूल शरीर तो हमें दिखाई देता है। यह सोलह तत्वों का बना होता है। पहली नजर में हमारा चेहरा ही हमारे स्थूल शरीर का परिचय होता है। लेकिन स्थूल शरीर के भीतर एक सूक्ष्म शरीर होता है जो 19 तत्वों का बना होता है।
ये 19 तत्व हैं-