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माँ दुर्गा के 51 शक्तिपीठों का संक्षिप्त विवरण

हिंदू धर्म में पुराणों का विशेष महत्‍व है। इन्‍हीं पुराणों में माता के शक्‍तिपीठों का भी वर्णन है। पुराणों की ही मानें तो जहां जहां देवी सती के अंग के टुकड़े वस्‍त्र और आभूषण गिरे वहां वहां मां के शक्‍तिपीठ बन गए। ये शक्तिपीठ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हैं। देवी भागवत में 108 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का जिक्र है। वहीं देवी पुराण में 51 शक्तिपीठ बताए गए हैं।

आइए जानें कहांकहां हैं ये शक्तिपीठ

  1. किरीट शक्तिपीठ
    पश्चिम बंगाल के हुगली नदी के तट लालबाग कोट पर स्थित है किरीट शक्तिपीठ, जहां सती माता का किरीट यानी शिराभूषण या मुकुट गिरा था। यहां की शक्ति विमला अथवा भुवनेश्वरी तथा भैरव संवर्त हैं। इस स्थान पर सती के ‘किरीट (शिरोभूषण या मुकुट)’ का निपात हुआ था। कुछ विद्वान मुकुट का निपात कानपुर के मुक्तेश्वरी मंदिर में मानते हैं।
  2. कात्यायनी पीठ
    वृन्दावन मथुरा में स्थित है कात्यायनी वृन्दावन शक्तिपीठ जहां सती का केशपाश गिरा था। यहां की शक्ति देवी कात्यायनी हैं। यहाँ माता सती ‘उमा’ तथा भगवन शंकर ‘भूतेश’ के नाम से जाने जाते है।
  3. करवीर शक्तिपीठ
    महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित ‘महालक्ष्मी’ अथवा ‘अम्बाईका मंदिर’ ही यह शक्तिपीठ है। यहां माता का त्रिनेत्र गिरा था। यहां की शक्ति ‘महिषामर्दिनी’ तथा भैरव क्रोधशिश हैं। यहां महालक्ष्मी का निज निवास माना जाता है।
  4. श्री पर्वत शक्तिपीठ
    यहां की शक्ति श्री सुन्दरी एवं भैरव सुन्दरानन्द हैं। कुछ विद्वान इसे लद्दाख (कश्मीर) में मानते हैं, तो कुछ असम के सिलहट से 4 कि.मी. दक्षिण-पश्चिम (नैऋत्यकोण) में जौनपुर में मानते हैं। यहाँ सती के ‘दक्षिण तल्प’ (कनपटी) का निपात हुआ था।
  5. विशालाक्षी शक्तिपीठ
    उत्तर प्रदेश, वाराणसी के मीरघाट पर स्थित है शक्तिपीठ जहां माता सती के दाहिने कान के मणि गिरे थे। यहां की शक्ति विशालाक्षी तथा भैरव काल भैरव हैं। यहाँ माता सती का ‘कर्णमणि’ गिरी थी। यहाँ माता सती को ‘विशालाक्षी’ तथा भगवान शिव को ‘काल भैरव’ कहते है।
  6. गोदावरी तट शक्तिपीठ
    आंध्र प्रदेश के कब्बूर में गोदावरी तट पर स्थित है यह शक्तिपीठ, जहाँ माता का वामगण्ड यानी बायां कपोल गिरा था। यहां की शक्ति विश्वेश्वरी या रुक्मणी तथा भैरव दण्डपाणि हैं। गोदावरी तट शक्तिपीठ आन्ध्र प्रदेश देवालयों के लिए प्रख्यात है। वहाँ शिव, विष्णु, गणेश तथा कार्तिकेय (सुब्रह्मण्यम) आदि की उपासना होती है तथा अनेक पीठ यहाँ पर हैं। यहाँ पर सती के ‘वामगण्ड’ का निपात हुआ था।
  7. शुचींद्रम शक्तिपीठ
    तमिलनाडु में कन्याकुमारी के त्रिासागर संगम स्थल पर स्थित है यह शुचींद्रम शक्तिपीठ, जहाँ सती के ऊर्ध्वदंत (मतान्तर से पृष्ठ भागद्ध गिरे थे। यहां की शक्ति नारायणी तथा भैरव संहार या संकूर हैं। यहाँ माता सती के ‘ऊर्ध्वदंत’ गिरे थे। यहाँ माता सती को ‘नारायणी’ और भगवान शंकर को ‘संहार’ या ‘संकूर’ कहते है। तमिलनाडु में तीन महासागर के संगम-स्थल कन्याकुमारी से 13 किमी दूर ‘शुचीन्द्रम’ में स्याणु शिव का मंदिर है। उसी मंदिर में ये शक्तिपीठ है।
  8. पंच सागर शक्तिपीठ
    इस शक्तिपीठ का कोई निश्चित स्थान ज्ञात नहीं है लेकिन यहां माता के नीचे के दांत गिरे थे। यहां की शक्ति वाराही तथा भैरव महारुद्र हैं। पंच सागर शक्तिपीठ में सती के ‘अधोदन्त’ गिरे थे। यहाँ सती ‘वाराही’ तथा शिव ‘महारुद्र’ हैं।
  9. ज्वालामुखी शक्तिपीठ
    हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा में स्थित है यह शक्तिपीठ, जहां सती का जिह्वा गिरी थी। यहां की शक्ति सिद्धिदा व भैरव उन्मत्त हैं। यह ज्वालामुखी रोड रेलवे स्टेशन से लगभग 21 किमी दूर बस मार्ग पर स्थित है। यहाँ माता सती ‘सिद्धिदा’ अम्बिका तथा भगवान शिव ‘उन्मत्त’ रूप में विराजित है। मंदिर में आग के रूप में हर समय ज्वाला धधकती रहती है।
  10. हरसिद्धि शक्तिपीठ
    (उज्जयिनी शक्तिपीठ) इस शक्तिपीठ की स्थिति को लेकर विद्वानों में मतभेद हैं। कुछ उज्जैन के निकट शिप्रा नदी के तट पर स्थित भैरवपर्वत को, तो कुछ गुजरात के गिरनार पर्वत के सन्निकट भैरवपर्वत को वास्तविक शक्तिपीठ मानते हैं। अत: दोनों ही स्थानों पर शक्तिपीठ की मान्यता है। उज्जैन के इस स्थान पर सती की कोहनी का पतन हुआ था। अतः यहाँ कोहनी की पूजा होती है।
  11. अट्टहास शक्तिपीठ
    अट्टाहास शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के लाबपुर (लामपुर) रेलवे स्टेशन वर्धमान से लगभग 95 किलोमीटर आगे कटवा-अहमदपुर रेलवे लाइन पर है, जहाँ सती का ‘नीचे का ह

PMBJP प्रधानमंत्री जन औषधि

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  • हर सफलता और समृद्धि का आधार है स्वास्थ्य , फिर वो प्रगति चाहे एक व्यक्ति से जुड़ी हो , परिवार या समाज से जुड़ी हो या पूरे राष्ट्र से जुड़ी हो , उसकी बुनियाद स्थास्थ्य पर ही टिकी होती है …
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कथन विश्व बैंक की वर्ष 2014 में जारी एक रिपोर्ट के संदर्भ में बेहद महत्वपूर्ण हैं । इस रिपोर्ट के अनुसार देश के 6.3 करोड़ लोग गंभीर बीमारियों के इलाज में भारी – भरकम खर्च की वजह से हर वर्ष गरीबी रेखा के नीचे चले जाते थे ।
  • आम आदमी के इसी बोझ को कम करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 जुलाई 2015 को प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना की शुरुआत की फिर 23 सितंबर को अपने लक्ष्य को आगे बढ़ाते हुए गरीबों के लिए 5 लाख रुपये के स्वास्थ्य बीमा देने के लिए पीएमजय – आयुष्मान भारत योजना शुरु की गई ।
  • दिल की गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के हित में कदम उठाते हुए फरवरी 2017 में स्टेट्स की कीमतों में 50 से 70 फीसदी तक की कटौती की गई । घुटने के इंप्लांट केप की कीमत में भी 70 % तक की कमी की गई है । डॉक्टरों के लिए भी अब जेनरिक दवाएं लिखना अनिवार्य कर दिया गया है ।
  • केंद्र सरकार की फ्लैगशिप योजना में इस बार हम प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना की चात करेंगे , जिसके तहत आज देशभर में 6 हजार 634 जन औषधि केंद्र लोगों को सस्ती दवाएं उपलब्ध करा रहे इन केंद्रों पर आप 1250 तरह की दवाएं और 204 सर्जरी के उपकरण 50 से 90 फीसदी तक सस्ते दामों पर खरीद सकते हैं ।
  • वेबसाइट http://janaushadhi.gov.in/ProductList.aspx पर क्लिक कर इन दवाओं की पूरी सूची और बाजार के मुकाबले दवाओं के दाम चेक किए जा सकते हैं । दरअसल , जन औषधि योजना की शुरुआत वर्ष 2008 में भी की गई थी । लेकिन , उचित दृष्टिकोण और बिना किसी लक्ष्य के यह दम तोड़ने लगी और वर्ष 2014 तक पूरे देश में मात्र 99 जन औषधि केंद्र ही खुल पाए । इसके बाद वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना ( पीएम – बीजेपी ) के रूप में इसे विस्तार देकर दोबारा शुरू किया गया ।
  • यही नहीं , इसकी सही निगरानी हो सके और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इसका लाभ पहुंचे , इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए बाकायदा ऑफ फामा पीएसयू ऑफ इंडिया ( बीपीपीआई ) की स्थापना कर , उसे इस योजना का काम सौंपा गया ।
  • मौजूदा सरकार के प्रयासों का ही नतीजा कि वर्ष 2014 तक जहां देश में केवल 99 जन औषधि केंद्र खुल पाए थे , 12 अक्टूबर 2020 तक इनकी संख्या 6,634 पहुंच चुकी है यह व देश के 732 जिलों में मौजूद है केंद्र सरकार का लक्ष्य वर्ष 2024 तक देश के हर जिले में जन औषधि केंद्र की शुरुआत करना है , ताकि म लोगों को उचित मूल्य पर सही दवा मिल सके । इन जन औषधि पर 2000 तरह की और सर्जिकल उपकरण सस्ते दामों पर खरीदे गंदे जा सकेंगे ।
  • केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने नवंबर 2020 के पहले सप्ताह में पीएमबीजेपी की समीक्षा व ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयू ऑफ इंडिया ( बीपीपीआई ) को जन औषधि दवाओं के प्रभाव , गुणवत्ता , ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच बढ़ाने के लिए एक कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं

नई शुरुआत …

1 रुपये में सेनेटरी नैपकिन अब तक 7 करोड़ से ज्यादा बिके

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पर्यावरण के अनुकूल ” जनऔषधि सुविधा ऑक्सी – बायोडिग्रेडेबल सेनेटरी नैपकिन भी जन औषधि केंद्रों पर उपलब्ध हैं , वो भी मात्र । रुपये में जी हां 4 जून , 2018 को फार्मास्युटिकल्स विभाग की तरफ इसकी शुरुआत की गई थी । 30 सितंबर 2020 तक जन औषधि केद्रों से 7 करोड़ सेनेटरी नैपिकिन बेचे जा चुके हैं । 15 अगस्त 2020 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर र र से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसका जिक्र करते रते हुए कहा था- ” गरीब बहन – बेटियों स्वास्थ्य की चिंता की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है ”

सुगम एप से खोजें नजदीकी केंद्र और दवा

  • कोई भी आम नागरिक अपने नजदीक में जन औषधि केंद्र से सस्ते दामों पर दवाएं ले सकता है । यदि आपको जन औषधि केंद्र का पता नहीं मालूम तो आपकी सुविधा के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म या मोबाइल एप्लीकेशन ” जन औषधि सुगम ” शुरू किया गया है ।
  • यह एप आप गूगल प्ले स्टोर या एप्पल स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं।एप पर आप अपना नजदीकी केंद्र खोज सकते हैं जनऔषधि केंद्र पर कौन सी दवाएं उपलब्ध हैं , जेनरिक दवा और ब्रांडेड दवा की तुलना , कीमत और बचत के आधार पर भी इसी एप के जरिए कर सकते हैं।
  • एक साल में जन औषधि केंद्रों ने लोगों के 2200 करोड़ रुपए बचाए मार्च , 2020 तक 700 जिलों में 6200 से अधिक जन औषधि केंद्र से वित्त वर्ष 2019-20 में 433 करोड़ रुपए की सस्ती दवा बेची गई । ये दवा बाँडेड कंपनियों के मुकाबले 50-90 % तक सस्ती है ।
  • यानी अनुमान के मुताबिक इससे बीमार लोगों या उनके परिवार की दवा जन औषधि खर्च में 2200 करोड़ रुपए की बचत हुई है रोजगार का सहारा भी बने जन औषधि केंद्र …

कौन खोल सकता हैं

पीएम – बीजेपी केंद्र पीएमवीजेपी केंद्र कोई भी व्यक्ति , बेरोजगार फार्मासिस्ट , डॉक्टर , रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर , ट्रस्ट , एनजीओ , प्राइवेट हॉस्पिटल , सोसायटी और सेल्फ हेल्प पुप या राज्य सरकारों की तरफ से नामित एजेंसी दुकान खोल सकती है ।

केंद्र खोलने के लिए रिटेल ड्रग सेल्स का लाइसेंस जन औषधि केंद्र के नाम पर लेना होगा । 120 वर्गफुट क्षेत्र की दुकान होनी चाहिए । यदि आप पौषम – बीजेपी सेंटर खोलना चाहते है तो ऑनलाइन आवेदन करने के लिए https://janaushadhi.gov.in/onlineregistration पर क्लिक करें ।

स्वास्थ्य हमारे जीवन । सबसे बड़ी पूंजी है । ऐसे में बेहतर स्वास्थ्य के लिए केंद्र सरकार द्वारा पीएमजस – आयुष्मान भारत योजना के साथ प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना खुशहाल भारत की दिशा में वरदान साबित हो रही है।

बेका समझौता

भारत और अमेरिका रक्षा क्षेत्र में अहम साझेदार हैं । दक्षिण एशिया के साथ दुनिया में बढ़ती हुई भूमिका के चलते अब भारत साझेदार है। इसी कड़ी में भारत और अमेरिका की प्लस टू वार्ता का आयोजन 27 अक्टूबर को दिल्ली में किया गया । अमेरिका की ओर से इसमें विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो , रक्षा मंत्री मार्क एस्पर और भारत की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस . जयशंकर मौजूद रहे । दोनों देशों के बीच सहमति के बाद बेका ( बेसिक एक्सचेंजएंड कोऑपरेशन फॉर जिओ स्पेशल कोऑपरेशन ) समझौते पर हस्ताक्षर किए गए । यह समझौता भारत और अमेरिका के बीच रक्षा क्षेत्र से जुड़े चार महत्वपूर्ण समझौतों की अंतिम कड़ी है।

क्या है टू प्लस टू वार्ता

रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण साझेदार दो देशों के बीच समकक्ष स्तर की बातचीत को टू प्लस टू वार्ता कहा जाता है । दुनिया में पहली बार जापान ने इसकी शुरुआत की थी । भारत और अमेरिका के बीच सितंबर 2018 में दिल्ली में ही इसकी शुरुआत हुई थी । दिसंबर 2019 में दूसरी वार्ता न्यूयॉर्क में हुई थी ।

बेका समझौता क्या है

  • ‘ बेका ‘ भारत और अमरीका के बीच होने वाले चार मूलभूत समझौतों में से आख़िरी है । इससे दोनों देशों के बीच लॉजिस्टिक्स और सैन्य सहयोग को बढ़ावा मिलेगा ।
  • पहला समझौता 2002 में किया गया था जो सैन्य सूचना की सुरक्षा को लेकर था । इसके बाद दो समझौते 2016 और 2018 में हुए जो लॉजिस्टिक्स और सुरक्षित संचार से जुड़े थे।
  • ताज़ा समझौता भारत और अमेरीका के बीच भू – स्थानिक सहयोग है। इसमें क्षेत्रीय सुरक्षा में सहयोग करना , रक्षा सूचना साझा करना , सैन्य बातचीत और रक्षा व्यापार के समझौते शामिल हैं।
  • इस समझौते पर हस्ताक्षर का मतलब है कि भारत को अमरीकी से सटीक भू – स्थानिक ( जिओ स्पेशल ) डेटा मिलेगा जिसका इस्तेमाल सैन्य कार्रवाई में बेहद कारगर साबित होगा।
  • इस समझौते का एक महत्वपूर्ण हिस्सा यह है कि अमेरीकी सैटेलाइट्स से जुटाई गई जानकारियां भारत को साझा की जा सकेंगी । इसका रणनीतिक फायदा भारतीय मिसाइल सिस्टम को मिलेगा । इसके साथ ही भारत उन देशों की श्रेणी में भी शामिल हो जाएगा जिसके मिसाइल हज़ार किलोमीटर तक की दूरी से भी सटीक निशाना साध सकेंगे।
  • इसके अलावा भारत को अमेरीका से प्रिडेटर – बी जैसे सशस्त्र ड्रोन भी उपलब्ध होंगे । हथियारों से लैस ये ड्रोन दुश्मन के ठिकानों का पता लगा कर तबाह करने में सक्षम हैं।

बेका समझौते के बाद दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने आतंकवाद और विस्तारवाद के खिलाफ अपनी प्रतिबद्धता जताई है । आतंकवाद के खिलाफ दुनिया के सामने अपनी बात सबसे जोरदार तरीके से रखने वाला भारत अब अमेरिका के साथ अहम समझौते कर रहा है । अमेरिका , जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ क्वॉड समूह में भारत भी अहम साझेदार है । भावी चुनौतियों और आतंकवाद के मुद्दे पर भारत को हमेशा से इन देशों का साथ मिलता रहा है ।