PMBJP प्रधानमंत्री जन औषधि

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  • हर सफलता और समृद्धि का आधार है स्वास्थ्य , फिर वो प्रगति चाहे एक व्यक्ति से जुड़ी हो , परिवार या समाज से जुड़ी हो या पूरे राष्ट्र से जुड़ी हो , उसकी बुनियाद स्थास्थ्य पर ही टिकी होती है …
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह कथन विश्व बैंक की वर्ष 2014 में जारी एक रिपोर्ट के संदर्भ में बेहद महत्वपूर्ण हैं । इस रिपोर्ट के अनुसार देश के 6.3 करोड़ लोग गंभीर बीमारियों के इलाज में भारी – भरकम खर्च की वजह से हर वर्ष गरीबी रेखा के नीचे चले जाते थे ।
  • आम आदमी के इसी बोझ को कम करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 जुलाई 2015 को प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना की शुरुआत की फिर 23 सितंबर को अपने लक्ष्य को आगे बढ़ाते हुए गरीबों के लिए 5 लाख रुपये के स्वास्थ्य बीमा देने के लिए पीएमजय – आयुष्मान भारत योजना शुरु की गई ।
  • दिल की गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के हित में कदम उठाते हुए फरवरी 2017 में स्टेट्स की कीमतों में 50 से 70 फीसदी तक की कटौती की गई । घुटने के इंप्लांट केप की कीमत में भी 70 % तक की कमी की गई है । डॉक्टरों के लिए भी अब जेनरिक दवाएं लिखना अनिवार्य कर दिया गया है ।
  • केंद्र सरकार की फ्लैगशिप योजना में इस बार हम प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना की चात करेंगे , जिसके तहत आज देशभर में 6 हजार 634 जन औषधि केंद्र लोगों को सस्ती दवाएं उपलब्ध करा रहे इन केंद्रों पर आप 1250 तरह की दवाएं और 204 सर्जरी के उपकरण 50 से 90 फीसदी तक सस्ते दामों पर खरीद सकते हैं ।
  • वेबसाइट http://janaushadhi.gov.in/ProductList.aspx पर क्लिक कर इन दवाओं की पूरी सूची और बाजार के मुकाबले दवाओं के दाम चेक किए जा सकते हैं । दरअसल , जन औषधि योजना की शुरुआत वर्ष 2008 में भी की गई थी । लेकिन , उचित दृष्टिकोण और बिना किसी लक्ष्य के यह दम तोड़ने लगी और वर्ष 2014 तक पूरे देश में मात्र 99 जन औषधि केंद्र ही खुल पाए । इसके बाद वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना ( पीएम – बीजेपी ) के रूप में इसे विस्तार देकर दोबारा शुरू किया गया ।
  • यही नहीं , इसकी सही निगरानी हो सके और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इसका लाभ पहुंचे , इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए बाकायदा ऑफ फामा पीएसयू ऑफ इंडिया ( बीपीपीआई ) की स्थापना कर , उसे इस योजना का काम सौंपा गया ।
  • मौजूदा सरकार के प्रयासों का ही नतीजा कि वर्ष 2014 तक जहां देश में केवल 99 जन औषधि केंद्र खुल पाए थे , 12 अक्टूबर 2020 तक इनकी संख्या 6,634 पहुंच चुकी है यह व देश के 732 जिलों में मौजूद है केंद्र सरकार का लक्ष्य वर्ष 2024 तक देश के हर जिले में जन औषधि केंद्र की शुरुआत करना है , ताकि म लोगों को उचित मूल्य पर सही दवा मिल सके । इन जन औषधि पर 2000 तरह की और सर्जिकल उपकरण सस्ते दामों पर खरीदे गंदे जा सकेंगे ।
  • केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने नवंबर 2020 के पहले सप्ताह में पीएमबीजेपी की समीक्षा व ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयू ऑफ इंडिया ( बीपीपीआई ) को जन औषधि दवाओं के प्रभाव , गुणवत्ता , ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच बढ़ाने के लिए एक कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं

नई शुरुआत …

1 रुपये में सेनेटरी नैपकिन अब तक 7 करोड़ से ज्यादा बिके

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पर्यावरण के अनुकूल ” जनऔषधि सुविधा ऑक्सी – बायोडिग्रेडेबल सेनेटरी नैपकिन भी जन औषधि केंद्रों पर उपलब्ध हैं , वो भी मात्र । रुपये में जी हां 4 जून , 2018 को फार्मास्युटिकल्स विभाग की तरफ इसकी शुरुआत की गई थी । 30 सितंबर 2020 तक जन औषधि केद्रों से 7 करोड़ सेनेटरी नैपिकिन बेचे जा चुके हैं । 15 अगस्त 2020 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर र र से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसका जिक्र करते रते हुए कहा था- ” गरीब बहन – बेटियों स्वास्थ्य की चिंता की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है ”

सुगम एप से खोजें नजदीकी केंद्र और दवा

  • कोई भी आम नागरिक अपने नजदीक में जन औषधि केंद्र से सस्ते दामों पर दवाएं ले सकता है । यदि आपको जन औषधि केंद्र का पता नहीं मालूम तो आपकी सुविधा के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म या मोबाइल एप्लीकेशन ” जन औषधि सुगम ” शुरू किया गया है ।
  • यह एप आप गूगल प्ले स्टोर या एप्पल स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं।एप पर आप अपना नजदीकी केंद्र खोज सकते हैं जनऔषधि केंद्र पर कौन सी दवाएं उपलब्ध हैं , जेनरिक दवा और ब्रांडेड दवा की तुलना , कीमत और बचत के आधार पर भी इसी एप के जरिए कर सकते हैं।
  • एक साल में जन औषधि केंद्रों ने लोगों के 2200 करोड़ रुपए बचाए मार्च , 2020 तक 700 जिलों में 6200 से अधिक जन औषधि केंद्र से वित्त वर्ष 2019-20 में 433 करोड़ रुपए की सस्ती दवा बेची गई । ये दवा बाँडेड कंपनियों के मुकाबले 50-90 % तक सस्ती है ।
  • यानी अनुमान के मुताबिक इससे बीमार लोगों या उनके परिवार की दवा जन औषधि खर्च में 2200 करोड़ रुपए की बचत हुई है रोजगार का सहारा भी बने जन औषधि केंद्र …

कौन खोल सकता हैं

पीएम – बीजेपी केंद्र पीएमवीजेपी केंद्र कोई भी व्यक्ति , बेरोजगार फार्मासिस्ट , डॉक्टर , रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर , ट्रस्ट , एनजीओ , प्राइवेट हॉस्पिटल , सोसायटी और सेल्फ हेल्प पुप या राज्य सरकारों की तरफ से नामित एजेंसी दुकान खोल सकती है ।

केंद्र खोलने के लिए रिटेल ड्रग सेल्स का लाइसेंस जन औषधि केंद्र के नाम पर लेना होगा । 120 वर्गफुट क्षेत्र की दुकान होनी चाहिए । यदि आप पौषम – बीजेपी सेंटर खोलना चाहते है तो ऑनलाइन आवेदन करने के लिए https://janaushadhi.gov.in/onlineregistration पर क्लिक करें ।

स्वास्थ्य हमारे जीवन । सबसे बड़ी पूंजी है । ऐसे में बेहतर स्वास्थ्य के लिए केंद्र सरकार द्वारा पीएमजस – आयुष्मान भारत योजना के साथ प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना खुशहाल भारत की दिशा में वरदान साबित हो रही है।