नवम्बर 2021

पेशे के अनुसार चुनें अपना रुद्राक्ष

रुद्राक्ष जानें कौन सा है आपके लिए

1) न्यायाधीश, न्यायमूर्ति – 2 मुखी और 14 मुखी रुद्राक्ष

2) अधिवक्ता, बैरिस्टर– 4 मुखी और 13 मुखी रुद्राक्ष

3) प्रशासनिक अधिकारी
1 मुखी और 13 मुखी रुद्राक्ष 4

4) बैंकिंग सेवा – 11 मुखी और 4 मुखी रुद्राक्ष

5) चार्टर्ड एकाउंटेंट – 8 मुखी और 12 मुखी रुद्राक्ष

6) राजनेता, मंत्री, एमएलए, एम.पी
1 मुखी और 14 मुखी रुद्राक्ष

7) प्रबंधक (एम.बी.ए.) 1 मुखी और गौरीशंकर रुद्राक्ष

8) लेखाकार 4 मुखी और 12 मुखी रुद्राक्ष

9) गायक 9 मुखी और 13 मुखी रुद्राक्ष

10) पुलिस और सैन्य अधिकारी
4 मुखी और 9 मुखी रुद्राक्ष

11) डॉक्टर और वैद्य 9 मुखी और 11 मुखी रुद्राक्ष

12) डॉक्टर (चिकित्सक) 10 मुखी और 11 मुखी रुद्राक्ष

13) डॉक्टर (सर्जन) 4 मुखी और 14 मुखी

14) नर्स, केमिस्ट, कंपाउंडर 3 मुखी और 4 मुखी रुद्राक्ष

15) होटल मालिक 14 मुखी, 1 मुखी और 13 मुखी रुद्राक्ष

16) नौसेना के व्यक्ति 12 मुखी और 8 मुखी रुद्राक्ष

17) उद्योगपति
14 मुखी और 12 मुखी रुद्राक्ष

18) सिविल इंजीनियर
8 मुखी और 14 मुखी रुद्राक्ष

19) विद्युत अभियंता
7 मुखी और 11 मुखी रुद्राक्ष

20) कंप्यूटर सॉफ्टवेयर इंजीनियर- 14 मुखी एवं गौरी शंकर रुद्राक्ष

21) रेल, बस कार चालक
10 मुखी और 7 मुखी रुद्राक्ष

22) पायलट, वायु सेना अधिकारी
10 मुखी और 11 मुखी रुद्राक्ष

23) प्रोफेसर, शिक्षक
6 मुखी और 14 मुखी रुद्राक्ष

24) क्लर्क, टाइपिस्ट, स्टेनो
8 मुखी और 11 मुखी रुद्राक्ष

25) ठेकेदार
11 मुखी, 13 मुखी और 14 मुखी रुद्राक्ष

26) प्रॉपर्टी डीलर 1 मुखी, 10 मुखी और 14 मुखी रुद्राक्ष

27) दुकानदार
10 मुखी, 13 मुखी और 14 मुखी रुद्राक्ष

नोट: 5 मुखी रुद्राक्ष प्रत्येक के साथ आवश्यक है

आपकी जन्मकुंडली और भोजन संबंधी आदतें

क्या भोजन का जन्म कुंडली से भी संबंध है। हमारी जन्म लग्न और राशि भी हमारी भोजन सम्बन्धी आदतें बताती है। हमारी कुंडली से न सिर्फ समस्त जीवन का खाका खींचा जा सकता है बल्कि खानपान संबंधी आदतें भी कुंडली से बताई जा सकती हैं।

अपनी राशि के अनुसार करें भोजन


नोट- ज्योतिष एवं वास्तु के उपाय जन कल्याण हेतु दिए जाते हैं, यदि आपके मन में कोई संदेह है, या आप इन उपायों में विश्वास नहीं रखते हैं तो ये उपाय ना करें, परन्तु इनका उपहास एवं अनादर ना करें।

  • कुंडली के धन स्थान से भोजन का ज्ञान होता है। यदि इस स्थान का स्वामी शुभ ग्रह हो और शुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति कम भोजन करने वाला होता है।
  • यदि धनेश पाप ग्रह हो, पाप ग्रहों से संबंध करता हो तो व्यक्ति अधिक खाने वाला (पेटू) होगा। यदि शुभ ग्रह पाप ग्रहों से दृष्ट हो या पाप ग्रह शुभ से (धनेश होकर) तो व्यक्ति औसत भोजन करेगा।
  • लग्न का बृहस्पति अतिभोजी बनाता है मगर यदि अग्नि तत्वीय ग्रह (मंगल, सूर्य बृहस्पति) निर्बल हों तो व्यक्ति की पाचन शक्ति गड़बड़ ही रहेगी।
  • धनेश शुभ ग्रह हो, उच्च या मूल त्रिकोण में हो या शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो व्यक्ति आराम से भोजन करता है।
  • धनेश मेष, कर्क, तुला या मकर राशि में हो या धन स्थान को शुभ ग्रह देखें तो व्यक्ति जल्दी खाने वाला होता है।
  • धन स्थान में पाप ग्रह हो, पाप ग्रहों की दृष्टि हो तो व्यक्ति बहुत धीरे खाता है।

खाने में पसंद आने वाली चीजों की सूचना छठे भाव से मिलती है।

  • छठे स्थान में बुध या बृहस्पति हो तो नमकीन वस्तुएँ पसंद आती हैं।
  • बृहस्पति बलवान होकर राज्य या धन स्थान में हो तो मीठा खाने का शौकीन होता है।
  • शुक्र, मंगल छठे स्थान में हों तो खट्टी वस्तुएँ पसंद आती हैं।
  • शुक्र-बुध की युति हो या छठे स्थान पर गुरु-शुक्र की दृष्टि हो तो मीठी वस्तुएँ पसंद आती हैं।
  • छठे स्थान में सिंह राशि हो तो तामसी भोजन (मांस-अंडे) पसंद आता है। वृषभ राशि हो तो चावल अधिक खाते हैं।
  • बुध पाप ग्रहों से युक्त होने पर मीठी वस्तुएँ बिलकुल नहीं भातीं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर राशि के लिए उपयुक्त स्वास्थ्यवर्धक भोजन इस प्रकार है. जैसे:-

मेष लग्न —–

इस लग्न में जन्में जातक तेज जिंदगी जीते है. जिससे शारीरिक शक्ति का अधिक व्यय होता है. यह मस्तिष्क प्रधान राशि है और इसका सिर पर आधिपत्य होता है. इसलिए इन जातकों को मस्तिष्क और शरीर दोनों को शक्तिदायक वस्तुएँ अपने भोजन में सम्मिलित करनी चाहिए. जैसे विटामिन और खनिज तत्वों से भरपूर पालक, गाजर, ककड़ी, मूली, प्याज, गोभी, दूध, दही, पनीर, मछली और दूसरे प्रोटीनयुक्त भोजन. मांस बहुत कम खाना चाहिए और उत्तेजक पदार्थ बिलकुल नहीं लेने चाहिए.

वृष लग्न —–

इस लग्न में जन्मे जातकों का शरीर पुष्ट होता है और वे स्वाद ले कर भोजन करते है. विभिन्न स्वाद का भोजन करने से उनका गला खराब रहता है, इसलिए मोटापे से ह्रदय रोग का भय रहता है. इन्हें मिठाई, केक, पेस्ट्री, मक्खन और दूसरे अधिक चिकिनाई वाले भोजन कम लेने चाहिए. स्वस्थ रहने के लिए विटामिन और खनिज तत्वों से पूर्ण फल, सब्जियां, सलाद, निम्बू, इत्यादि मात्रा में लेने चाहिए.

मिथुन लग्न—-

यह राशि मानसिक और स्नायु प्रधान है. जातक के अधिक मानसिक परिश्रम करने से तथा पाचन क्रिया गड़बड़ होने पर वह बीमार होता है. इन जातकों को वे सब भोज्य पदार्थ, जो मस्तिष्क और स्नायु तंत्र के लिए शक्तिदायक हों, लेने चाहिए. विटामिन बी प्रधान भोजन को प्राथमिकता देनी चाहिए. दूध और फल लाभदायक होते है. मांस बहुत कम खाना चाहिए.

कर्क लग्न—–

इस लग्न के जातक खाने के शौकीन होते है, परन्तु उनकी पाचन क्रिया कमजोर होती है. इसलिए वे वस्तुएं नहीं खानी चाहिए जिनसे पेट में उतेजना बढे और गैस बने. मांस, पेस्ट्री, शराब हानिकारक होते है. दूध, दही, फल, सब्जी, सलाद, नींबू, मेवे और मछली अनुकूल होते है. इन जातकों को सोने से पहले और सुबह उठते ही पानी पीना चाहिए.

सिंह लग्न——

यह कार्यशील राशि है. जिससे जातक अधिक ऊर्जा खर्च करता है. ऐसा भोजन जो सुपाच्य हो, जिससे अधिक ऊर्जा मिले और रक्त में लाल कण बढ़ें, लाभदायक होते है. मोटापा बढाने वाली चरबीदार वस्तुएं ह्रदय के लिए हानिकारक होती है. शाकाहारी भोजन, फल और मेवे जिसमें विटामिन और खनिज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हो, लाभदायक होते है.

कन्या लग्न—–

इस राशि में जन्मे जातकों की पाचन प्रणाली कमजोर होने के कारण इनकों अपने भोजन पर विशेष ध्यान देना चाहिए. दूध, फल, सुपच आहार और रोचक पदार्थ लाभदायक होते है. इन्हें एक बार में थोड़ा और भली प्रकार से पकाया भोजन लेना चाहिए. जिससे इनकी मल विसर्जन प्रणाली ठीक रहे.

तुला लग्न——-

इस लग्न वाले जातकों को अच्छे खाने का शौक होता है, पर उनकी मल विसर्जन प्रणाली कमजोर होती है. इन्हें फल और दूध प्रधान भोजन लेना चाहिए. सब्जियों में गाजर, चुकंदर, मटर और फलों में सेवा और अंजीर उतम होते है. अधिक मिठाई और चिकनाई वाले पदार्थ से परहेज करना चाहिए. शराब भी कम ही लेनी चाहिए. जिससे गुर्दों पर बुरा असर न पड़े

आइए जाने सिंदूर का क्या है – महत्व

सिंदूर

यदि पत्नी के माँग के बीचो बीच सिन्दूर लगा हुआ है तो उसके पति की अकाल मृत्यू नही हो सकती है।
जो स्त्री अपने माँग के सिन्दूर को बालो से छिपा लेती है उसका पति समाज मे छिप जाता है

जो स्त्री बीच माँग मे सिन्दूर न लगाकर किनारे की तरफ सिन्दूर लगाती है उसका पति उससे किनारा कर लेता है।

यदि स्त्री के बीच माँग मे सिन्दूर भरा है तो उसके पति की आयु लम्बी होती है।

रामायण मे एक प्रसंग आता है जब बालि और सुग्रीव के बीच युध्द हो रहा था तब श्रीराम ने बालि को नही मारा।

जब बालि के हाथो मार खाकर सुग्रीव श्रीराम के पास पहुचा तो श्रीराम ने कहा की तुम्हारी और बालि की शक्ल एक सी है इसिलिये मै भ्रमित हो गया
अब आप ही बताइये श्री राम के नजरो से भला कोई छुप सकता है क्या?

असली बात तो यह थी जब श्रीराम ने यह देख लिया की बालि की पत्नी तारा का माँग सिन्दूर से भरा हुआ है तो उन्होने सिन्दूर का सम्मान करते हुये बालि को नही मारा ।

दूसरी बार जब सुग्रीव ने बालि को ललकारा तब तारा स्नान कर रही थी उसी समय भगवान ने देखा की मौका अच्छा है और बाण छोड दिया अब आप ही बताइये की जब माँग मे सिन्दूर भरा हो तो परमात्मा भी उसको नही मारते फिर उनके सिवाय कोई और क्या मारेगा।

यह पोस्ट मै इसीलिये कर रहा हूँ की आजकल फैसन चल रहा है सिन्दूर न लगाने की या हल्का लगाने की या बीच माँग में न लगाकर किनारे लगाने की ।