नवरात्रि में माँ दुर्गा पूजन हेतु घट स्थापन अथवा पूजन कैसे करें ? विस्तार से हिंदी में


स्नानादि से निवृत्त होकर ऊंनी आसान पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठकर सर्वप्रथम गंगाजल ऊपर छिड़क कर तीन बार भगवान का नाम स्मरण करते हुए आचमन करें पुनः चंदन अक्षत पुष्प से पृथ्वी मैया का पूजन करें इसके बाद दीपक प्रज्वलित करें दीपक अपने बाय एवं देवताओं के दाहिने रहेगा दीपक का भी दीप देवतायै नमः इस मंत्र से चंदन पुष्प अक्षत से पूजन करें। फिर हाथ में अक्षत पुष्प लेकर अपने गुरुदेव भगवान माता पिता और अपने इष्ट देवता का स्मरण करें। फिर हाथ में जल अक्षत दूर्वा पुष्प फल और दक्षिणा रखकर संकल्प करें। संकल्प करते समय तीन बार भगवान विष्णु का नाम लें और बोलें आज इस पुण्य समय में भारतवर्ष के उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जनपद के (अपने गांव या मोहल्ले का नाम ले) ग्राम में आनंद नामक संवत्सर चैत्र मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि दिन मंगलवार को भगवती महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती के प्रसन्नता और कृपा प्राप्ति के लिए समस्त परिवार के कल्याण हेतु तथा दुर्गा देवी के प्रीति हेतु घट स्थापन तथा भगवान गणेश गौरी जी और कलश में भगवान वरुण गंगाद नदियां सप्तसागर और चारों वेद ब्रह्म विष्णु महेश का आवाहन तथा नवग्रह देवताओं का आवाहन तत्पश्चात भगवती का आवाहन कर यथा उपलब्ध सामग्री के द्वारा पूजन करूंगा। ऐसा बोलकर हाथ का अक्षत पुष्प सामने छोड़ दें। फिर गणेश जी गौरी जी के मूर्ति में अथवा सुपारी में रक्षा लपेटकर गणेश जी और गाय के गोबर का गौरी बनाकर ओम गं गणपतये नमः। ओम गौर्यै नमः आवाहयामि ऐसा बोलकर थोड़ा थोड़ा अक्षत गणेश गौरी जी के ऊपर छोड़ दें। गंगा जी के मिट्टी में जव बोकर उसके ऊपर कलश रखें कलश के गले में रक्षा बाधें कलश में सुपारी पैसा गंगा जी की मिट्टी दुर्गा अक्षत हल्दी गांठ सतावर और गंगाजल डालकर आम की टेरी डालकर प्याला या कटोरी में चावल भरकर कलश के मुख पर रखें और उस प्याले के ऊपर जलभरा नारियल में कपड़ा बांधकर रखें फिर हाथ में अक्षत लेकर ओम वं वरुणाय नमः, ओम गंगादि नदिभ्यो नमः, सप्तसागरेभ्यो नमः, सर्वान्तीर्थ्यो नमः, ब्रह्मणे नमः ,विष्णवे नमः, रुद्राय नमः, ऋग्वेदाय नमः यजुर्वेदाय नमः सामवेदाय नमः अथर्ववेदाय नमः,मातृभ्यो नमः आवाहयामि ऐसा बोलकर कलश के ऊपर डाल दें। कलश के बांयी तरफ किसी चौकी आदि में 16 जगह चावल का पुंज और दूसरे चौकी पर सात जगह चावल का पुंज रखें चौकी ना हो तो किसी प्याला या दियली में चावल भरकर सुपारी में रक्षा लपेटकर रखकर 16 पुंज वाले में ओम सगणेश षोडसमातृभ्यो नमः आवाहयामि ऐसा बोलकर चावल छोड़कर आवाहन करें। 7 पुंज वाले पर ओम सप्तघृत मातृभ्यो नमः आवाहयामि ऐसा बोलकर चावल छोड़कर आवाहन करें। फिर कलश के दाहिने तरफ किसी चौकी पर 9 जगह चावल रखें अथवा किसी प्याला या दियली में रक्षा लपेटकर सुपारी रखें और बाएं हाथ में चावल लेकर दाहिने हाथ से ओम सूर्याय नमः आवाहयामि, ॐ सोमाय नमः आवाहयामि, ओम मंगलाय नमः आवाहयामि, ओम बुद्धाय नमः आवाहयामि, ॐ बृहस्पतये नमः आवाहयामि, ॐ शुक्राय नमः आवाहयामि, ओम शनैश्चराय नमः आवाहयामि, ॐ राहवे नमः आवाहयामि, ओम केतवे नमः आवाहयामि ऐसा बोलते अक्षत छोड़ते जाएं। फिर देवी जी के मूर्ति आप फोटो के आगे हनुमान जी महाराज का आवाहन ओम हनुमते नमः आवाहयायि, देवी जी के मूर्ति या फोटो के पीछे ओम भैरवाय नमः आवाहयामि ऐसा बोलकर अक्षत छोड़ें। ओम नमः शिवाय बोलकर शंकर जी का ध्यान करें। ओम श्री विष्णवे नमः बोलकर भगवान नारायण का ध्यान करें और फिर हाथ में अक्षत पुष्प लेकर ओम श्री महाकाल्यै नमः, श्री महालक्ष्म्यै नमः, श्री महा सरस्वत्यै नमः आवाहयामि ऐसा बोलकर अथवा श्री दुर्गा देव्यै नमः आवाहयामि ऐसा बोलकर अक्षत पुष्प भगवती के ऊपर छोड़कर पूजन करें। भगवान गणेश जी और गौरी जी से शुरू कर सबको गंगाजल से स्नान वस्त्र के लिए रक्षा सूत्र जनेऊ फिर चंदन अक्षत पुष्प गणेश जी को दूब सभी देवताओं को बेलपत्र शमी पत्र नारायण जी को तुलसी पत्र चढ़ाएं अबीर रोली सिंदूर चढ़ाएं इत्र लगाएं धूप दिखाएं दीपक दिखाएं मिठाई फल पान सुपारी इलाइची लोंग चढ़ाकर भोग लगाएं आचमन करायें और दक्षिणा चढ़ाएं फिर हाथ में अक्षत पुष्प लेकर के गणेश गौरी सहित सभी देवताओं से नमस्कार प्रणाम प्रार्थना करें और भगवती से भी प्रार्थना करें कि आप मेरा पूजन स्वीकार करिए इसके बाद पाठ आदि करके आरती करें।
आपका मंगल हो भगवती की कृपा सपरिवार आप पर बनी रहे इसी मंगल कामना के साथ जय माता की।