मार्च 2021

होली पर करें ये उपाय

1-यदि कोई व्यक्ति निरन्तर बीमार रहता है, और काफी दवा कराने के बावजूद भी रोग में कोई लाभ नहीं हो रहा है, तो होली दहन के समय देशी घी में दो लौंग, एक बताशा, एक पान का पत्ता इन सभी वस्तुओं को होली जलने वाली आग में डाल दें। अगले दिन होली की राख रोगी के शरीर में लगायें और तत्पश्चात गर्म जल से स्नान करायें। इस उपाय से रोगी शीघ्र ही स्वस्थ्य होने लगेगा।
2-कोई व्यक्ति अभिचार कर्म के कारण अर्थात मारण, विद्वेषण, उच्चाटन, सम्मोहन व वशीकरण से आक्रान्त हो तो वह व्यक्ति उपरोक्त विधि से होलिका की राख शरीर में लगाकर गर्म जल से स्नान कराने से नकारात्मक प्रभाव निर्मूल हो जाता है।
3-यदि किसी का पति दूसरी महिला के सम्पर्क में रहता है, तो आप होली पर उपरोक्त सामग्री अर्पित करें एंव 7 बार होली की जलती आग की परिक्रमा करें। परिक्रमा करते समय 1 गोमती चक्र अपने पति का नाम लेकर आग में डालें। ऐसा करने से महिला का पति उसके पास वापस लौट आयेगा।
4- यदि आपको ऐसा प्रतीत होता है कि किसी ने आपके उपर तान्त्रिक प्रयोग करवा दिया है, तो आप होली दहन के समय देशी घी में दो लौंग, एक बताशा, एक पान का पत्ता और थोड़ी सी मिश्री इन सभी वस्तुओं को होली जलने वाली आग में डाल दें। अगले दिन होली की राख को चांदी के ताबीज में भर कर गलें में धारण करने से तान्त्रिक प्रभाव निष्क्रिय हो जायेगा।
5-यदि कोई व्यक्ति आपका लिया हुआ धन वापिस नहीं कर रहा है, तो आप होली जलने वाले स्थान पर अनार की लकड़ी से उसका नाम लिखकर होलिका माता से अपने धन वापसी का निवेदन करते हुये उसके नाम पर हरा गुलाल छिड़क दें। इस उपाय से आपका धन मिल जायेगा।
6- यदि आप किसी से शत्रुता समाप्त करना चाहते है तो होलिका दहन के अगले दिन उसी स्थान पर रात्रि 12 बजे जाकर होली जलने के स्थान पर अनार की लकड़ी से उसका नाम लिख दें और फिर उसे बांये हाथ से मिटा दें और उस स्थान की थोड़ी सी राख लाकर। अगले दिन उस व्यक्ति के सिर पर डाल दें। ऐसा करने से वह व्यक्ति आपके प्रति शत्रुता का भाव समाप्त कर देगा।
7-यदि आपकी जन्मपत्री में कोई ग्रह दूषित हो तो आप होली दहन के समय देशी घी में दो लौंग, एक बताशा, एक पान का पत्ता इन सभी वस्तुओं को होली जलने वाली आग में डाल दें। अगले दिन उस राख को लाकर सर्वार्थ सिद्धि योग में शुद्ध करके बहते जल में प्रवाहित कर दें।
8- अगर आपको राज्यपक्ष से बाधा आ रही है तो आप होलिका के उल्टे फेरे प्रारम्भ करें। प्रत्येक फेरे की समाप्ति पर आक (मंदार) की जड़ जलती होली में डालें। इस उपाय को करने से आपको राज्य पक्ष से मिलने वाली सारी बाधायें समाप्त हो जायेगी।
9-वास्तुदोषों से मुक्ति पाने के लिए होली दहन के अगले दिन आप सर्वप्रथम अपने इष्ट देव को गुलाल अर्पित कर अपने निवास के ईशान कोण पर पूजन कर गुलाल चढ़ायें। यह उपाय करने से आपका घर वास्तुदोष से मुक्त हो जायेगा।
10- यदि किसी के उपर कोई भय का साया है तो वह होली के दिन एक नारियल, एक जोड़ा लौंग व पीली सरसों इन सभी वस्तुओं को लेकर पीडि़त व्यक्ति के उपर से 21 बार उतार होली की अग्नि में डाल दें। सारा दुष्प्रभाव समाप्त हो जायेगा।
11-यदि आपको बार-2 आर्थिक हानि का सामना करना पड़ रहा है तो आप होलिका दहन की शाम को अपने मुख्यद्वार की चौखट पर दोमुखी आटे का दीपक बनायें। चौखट पर थोड़ा सा गुलाल छिड़ककर दीपक जलाकर रख देना चाहिए। दीपक जलने के साथ ही मानसिक रूप से आर्थिक हानि दूर होने के लिए निवेदन करना चाहिए। यह उपाय कारगर सिद्ध होगा।
12- किसी बालक अथवा बड़े को शीघ्र ही नजर लगती हो तो होली दहन के समय देशी घी में दो लौंग, एक बताशा, एक पान का पत्ता इन सभी वस्तुओं को होली जलने वाली आग में डाल दें। अगले दिन होली की राख को तांबे या चांदी के ताबीज में भरकर काले धागे में बांधकर गले में धारण करने से कभी भी नजर दोष नहीं लगता है।
।। सबका मंगल हो ।।
आचार्य धीरज द्विवेदी “याज्ञिक”
(ज्योतिष, वास्तु शास्त्र एवं वैदिक अनुष्ठानों के विशेषज्ञ
संपर्क सूत्र-09956629515)

आइये जानते हैं – ग्रहों का घर के वास्तु पर कितना असर, किस हिस्से में कौन सी चीज रखना शुभ

किसी भी वास्तु में नौ ग्रहों का आधिपत्य होता है एवं वास्तु में इनका स्थान निश्चित कोण पर होता है। इसी प्रकार प्रत्येक दिशा के देवता भी अलग-अलग होते हैं। घर में इनके संतुलित होने पर सुख-समृद्धि रहती है वहीं इनके स्वभाव के विपरीत निर्माण करने पर वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है जिससे अनेकों प्रकार की परेशानियों का जीवन में सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य पं. देवतादीन शुक्ल से सभी नौ ग्रहों का घर के वास्तु पर कैसा असर होता है……….


सूर्य ग्रह:- पूर्व दिशा के स्वामी सूर्य ग्रह एवं देवता इंद्र है। सूर्य स्वास्थ्य, ऐश्वर्य और तेजस्व प्रदान करने वाला ग्रह है यदि घर की पूर्व दिशा दोषमुक्त रहे तो उस भवन का स्वामी और उसमें रहने वाले सदस्य महत्वकांक्षी, सत्वगुणों से युक्त और उनके चेहरे पर तेज होता है। ऐसे में भवन स्वामी को खूब मान-सम्मान मिलता है। इसलिए वास्तु में पूर्व दिशा को खुला छोड़ने की सलाह दी जाती है ताकि अंनत गुणधर्म वाली सूर्य की रश्मियां भवन में प्रवेश कर सकें। कभी भी इस दिशा को भारी व बंद नहीं करें।


शुक्र ग्रह:- शुक्र आग्नेय कोण के अधिपति ग्रह एवं इस दिशा के देवता अग्निदेव हैं। शुक्र ग्रह ऐश्वर्य के स्वामी हैं। जिस भवन में दक्षिण-पूर्व या आग्नेय कोण शुभगुणों से युक्त और दोष रहित होता है ऐसे वास्तु की आंतरिक ऊर्जा स्वस्थ्य और शुक्र के गुणधर्म वाली होती है। इस दिशा में रसोई, बिजली के सामान एवं विद्युत केंद्र होना वास्तु के अनुसार शुभ माने गए हैं।


मंगल ग्रह:- दक्षिण दिशा मंगल ग्रह के अधीन होती है एवं इस दिशा के देवता यम हैं। मंगल ग्रह समस्त प्रकार का साहस एवं धन लाभ प्रदान करने वाला होता है। मंगल ग्रह निडर, साहसी और दिलेर होता है और यह युद्ध, लड़ाई, क्रोध का अधिपति भी है। दक्षिणदिशा विधि, न्याय, मुकदमेबाजी, आराम, जीवन और मृत्यु से संबंधित है। इसलिए इस दिशा में शयन कक्ष तथा भण्डार गृह रखना चाहिए।


राहु ग्रह:- दक्षिण पश्चिम दिशा या नैऋत्य कोण का स्वामी राहु ग्रह है एवं इस दिशा की देवी आसुरी शक्ति वाली हैं। इस दिशा में तमस तत्व सर्वाधिक होता है इसलिए वास्तु में इस दिशा को सबसे अधिक भारी रखना शुभ होता है। घर में भूलकर भी इस दिशा को हल्की एवं खुली नहीं रखें। इस दिशा में बैडरूम, ऑफिस, बाथरूम या स्टोर रूम बनाना लाभदायक रहता है।


शनि ग्रह:- पश्चिम दिशा लाभ एवं प्रसन्नता की दिशा है। इस दिशा के ग्रह शनि एवं देवता वरुण देव है। शनि ग्रह भाग्य, कर्म, यश तथा पौरुष संबंधी कार्यों का कारक होता है। इस दिशा को हमेशा स्वस्थ्य रखना चाहिए। इस दिशा में ड्राइंगरूम, बेडरूम, पुस्तकालय होना शुभ होता है।


चन्द्रमा ग्रह:- वायव्य दिशा का स्वामी चन्द्रमा है। यह शांत चित्त एवं भाग्य का अधिपति ग्रह है। यह मन, चित्तवृत्ति, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य, संपत्ति व माता का कारक है। वहीं वास्तु में वायव्य कोण वायुदेव का स्थान है। वायुदेव हमें शक्ति, प्राण, स्वास्थ्य प्रदान करते है। सामाजिक जीवन एवं व्यापार पर इसका विशेष प्रभाव होता है। इस दिशा में भोजनकक्ष,अतिथि गृह, विवाह योग्य कन्याओं का कमरा एवं बिना टॉयलेट के बाथरूम होना शुभ होता है।


बुध ग्रह:- यह ग्रह उत्तर दिशा के स्वामी एवं इस दिशा के देवता कुबेरदेव होते हैं। बुध वाक्चातुर्य एवं विद्धता का प्रतिनिधि ग्रह है। जिस घर में उत्तर दिशा शुभ होती है वहां के लोग अत्यंत बुद्धिमान, विद्वान, लेखन एवं कविता में रूचि रखने वाले होते हैं। बुध सम्पन्नता और करियर का प्रतिनिधि ग्रह है इसलिए इस दिशा में अध्ययन कक्ष, तिजोरी और पुस्तकालय शुभ माने गए हैं।


गुरु ग्रह:- यह उत्तर-पूर्व या ईशान कोण का स्वामी ग्रह है एवं विष्णुदेव इस दिशा के देवता हैं । गुरु, ईश्वरीय तेज एवं आध्यात्मिक वृत्ति का प्रदाता ग्रह है। बौद्धिक विकास एवं बौद्धिक शांति के लिए तथा ईश्वर की कृपा पाने के लिए यह दिशा स्वस्थ्य रखनी चाहिए। इस दिशा में पूजा स्थल एवं योग कक्ष बनाना अत्यंत शुभकारी है।

श्रीमहाकाल भैरवाष्टक….

यं यं यं यक्षरूपं दशदिशिविदितं भूमिकम्पायमानं
सं सं संहारमूर्तिं शिरमुकुटजटा शेखरंचन्द्रबिम्बम् ।
दं दं दं दीर्घकायं विक्रितनख मुखं चोर्ध्वरोमं करालं
पं पं पं पापनाशं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ॥ १॥

रं रं रं रक्तवर्णं, कटिकटिततनुं तीक्ष्णदंष्ट्राकरालं
घं घं घं घोष घोषं घ घ घ घ घटितं घर्झरं घोरनादम् ।
कं कं कं कालपाशं द्रुक् द्रुक् दृढितं ज्वालितं कामदाहं
तं तं तं दिव्यदेहं, प्रणामत सततं, भैरवं क्षेत्रपालम् ॥ २॥

लं लं लं लं वदन्तं ल ल ल ल ललितं दीर्घ जिह्वा करालं
धूं धूं धूं धूम्रवर्णं स्फुट विकटमुखं भास्करं भीमरूपम् ।
रुं रुं रुं रूण्डमालं, रवितमनियतं ताम्रनेत्रं करालम्
नं नं नं नग्नभूषं , प्रणमत सततं, भैरवं क्षेत्रपालम् ॥ ३॥

वं वं वायुवेगं नतजनसदयं ब्रह्मसारं परन्तं
खं खं खड्गहस्तं त्रिभुवनविलयं भास्करं भीमरूपम् ।
चं चं चलित्वाऽचल चल चलिता चालितं भूमिचक्रं
मं मं मायि रूपं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम् ॥ ४॥

शं शं शं शङ्खहस्तं, शशिकरधवलं, मोक्ष सम्पूर्ण तेजं
मं मं मं मं महान्तं, कुलमकुलकुलं मन्त्रगुप्तं सुनित्यम् ।
यं यं यं भूतनाथं, किलिकिलिकिलितं बालकेलिप्रदहानं
आं आं आं आन्तरिक्षं , प्रणमत सततं, भैरवं क्षेत्रपालम् ॥ ५॥

खं खं खं खड्गभेदं, विषममृतमयं कालकालं करालं
क्षं क्षं क्षं क्षिप्रवेगं, दहदहदहनं, तप्तसन्दीप्यमानम् ।
हौं हौं हौंकारनादं, प्रकटितगहनं गर्जितैर्भूमिकम्पं
बं बं बं बाललीलं, प्रणमत सततं, भैरवं क्षेत्रपालम् ॥ ६॥

वं वं वं वाललीलं सं सं सं सिद्धियोगं, सकलगुणमखं,
देवदेवं प्रसन्नं पं पं पं पद्मनाभं, हरिहरमयनं चन्द्रसूर्याग्नि नेत्रम् ।
ऐं ऐं ऐं ऐश्वर्यनाथं, सततभयहरं, पूर्वदेवस्वरूपं
रौं रौं रौं रौद्ररूपं, प्रणमत सततं, भैरवं क्षेत्रपालम् ॥ ७॥

हं हं हं हंसयानं, हसितकलहकं, मुक्तयोगाट्टहासं, ?
धं धं धं नेत्ररूपं, शिरमुकुटजटाबन्ध बन्धाग्रहस्तम् ।
तं तं तंकानादं, त्रिदशलटलटं, कामगर्वापहारं,
भ्रुं भ्रुं भ्रुं भूतनाथं, प्रणमत सततं, भैरवं क्षेत्रपालम् ॥ ८॥

इति महाकालभैरवाष्टकं सम्पूर्णम् ।
नमो भूतनाथं नमो प्रेतनाथं नमः कालकालं नमः रुद्रमालम् ।
नमः कालिकाप्रेमलोलं करालं नमो भैरवं काशिका क्षेत्रपालम् ॥

महाशिवरात्रि के दिन शिव जी को ऐसे करें प्रसन्न, राशि अनुसार करें महादेव जी की पूजा

मेष राशि:
इस राशि वाले जातक महाशिवरात्रि के दिन शिव जी की गुलाल से पूजा करें और “ॐ ममलेश्वराय नम:” मंत्र का जाप करें, आपको बहुत अधिक लाभ मिलेगा।

वृषभ राशि:
महाशिवरात्रि के दिन इस राशि के लोग शिव जी का दूध से अभिषेक करें और “ॐ नागेश्वराय नम:” मंत्र का जाप करें, सभी कष्टों से मुक्ति मिलेगी।

मिथुन राशि:
महाशिवरात्रि के दिन मिथुन राशि के जातक शिव जी का गंगा जल से अभिषेक करें और इसके साथ ही “ॐ भूतेश्वराय नम:” मंत्र का जाप करें।

कर्क राशि:
इस राशि के जातकों को महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिये और महादेव के “द्वादश” नाम का स्मरण करना चाहिये।

सिंह राशि:
इस राशि के जातक महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का शहद से अभिषेक करें और “ॐ नम: शिवाय” मंत्र का जाप करें।

कन्या राशि:
कन्या राशि के जातक महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का जल में दूध मिलाकर अभिषेक करें और “शिव चालीसा” का पाठ करें।

तुला राशि:
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिये महादेव का दही से अभिषेक करें और इस दिन “शिवाष्टक” का पाठ करें।

वृश्चिक राशि:
इस राशि के लोग दूध और घी से शिवजी का अभिषेक करें और “ॐ अंगारेश्वराय नम:” मंत्र का जाप करें।

धनु राशि:
महाशिवरात्रि के दिन शिव जी का दूध से अभिषेक करें और “ॐ सोमेश्वरायनम:” मंत्र का जाप करें, सभी इच्छाएं जल्द पूरी होंगी।

मकर राशि:
महाशिवरात्रि के दिन मकर राशि वाले जातक भगवान शिव का गन्ने के रस से अभिषेक करें और साथ ही “शिव सहस्त्रनाम” का पाठ करें।

कुंभ राशि:
इस राशि वाले जातक महाशिवरात्रि के दिन शिव जी का दूध, दही, शक्कर, घी, शहद इन सभी चीजों से अभिषेक करें इसके साथ ही “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।

मीन राशि:
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिये महाशिवरात्रि के दिन मौसमी फल के रस से शिव जी का अभिषेक करें, इसके साथ ही “ॐ भामेश्वराय नम:” मंत्र का जाप करें।
(स्वयं न कर पाने की स्थिति में योग्य ब्राम्हण द्वारा करायें)।