हमारे देश में पिछले 2500 वर्षों से लोगों की यह धारणा रही है कि हाथों की रेखाएं देखकर आदमी का भविष्य बताया जा सकता है । भारत से ही यह धारणा दूसरे देशों में भी फैली । आरम्भ में ज्योतिषी पैरों के तलओं की रेखाएं भी देखा करते थे , परन्तु बाद में यह अनुभव किया गया कि हाथों की रेखाएं देखना अधिक आसान है ।
हाथ की रेखाओं को पढ़ने के विज्ञान को हस्तरेखा विज्ञान कहते हैं । इससे व्यक्ति का चरित्र , उसका भविष्य और भविष्य के उतार – चढ़ाव बताये जाते हैं । यद्यपि हस्तरेखा विज्ञान का कोई वैज्ञानिक आधार अभी तक स्थापित नहीं हो पाया है , परन्तु अनुभव के आधार पर यह कहा जा सकता है कि हाथ की बनावट और रेखाओं के अनुसार व्यक्ति के काम – धन्धों , आदतों और स्वभाव , रुचियों और उसके व्यक्तित्त्व का किसी सीमा तक पता चल सकता है । यह कहना मुश्किल है कि इन रेखाओं में कोई आत्मिक शक्ति होती है ।
प्राचीन ज्योतिषियों के अनुसार सबसे ऊपर की रेखा का सम्बन्ध हृदय से होता है । यह प्रेम करने की शक्ति के विषय में बताती है । इसके नीचे की रेखा का सम्बन्ध मस्तिष्क से माना जाता है । इसे मस्तिष्क रेखा कहते हैं । भाग्य रेखा इन दोनों को काटती हुई जाती है । मस्तिष्क रेखा के नीचे जो वक्र रेखा है , उसे जीवन रेखा कहते हैं । इस की लम्बाई के आधार पर व्यक्ति की आयु ज्ञात की जाती है ।
हाथ पर और भी अनेक रेखाएं होती हैं , जो जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती हैं । आज के हस्तरेखा वैज्ञानिक भी इन रेखाओं को इन्हीं नामों से पुकारते हैं, और प्राचीन ज्योतिषियों की तरह ही इनके अर्थ पढ़ते हैं । यदि किसी ज्योतिषी की भविष्यवाणी सही निकलती है तो उसे याद किया जाता है । गलत भविष्यवाणी को लोग भूल जाते हैं । कुछ भी हो इन भविष्यवाणियों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता , परन्तु इसे पूरी तरह नकारा भी नहीं जा सकता । वैसे भविष्य बताने के जो और तरीके बरते जाते हैं , उन पर भी आशिक रूप से ही सही, विश्वास किया जा सकता है ।