माघ मास मे क्या करें और क्या ना करें?

माघ मास के कृत्य (कार्य)

सम्पूर्ण माघ में तीर्थ स्नान न कर पाने की स्थिति में माघी पूर्णिमा से पूर्व तीन दिनों में विधि पूर्वक स्नान करें । 

 माघ में प्रयाग स्नान का महात्म्य – पृथ्वी पर माघ मास में मात्र तीन दिन प्रयाग स्नान करने मात्र से भी १ हजार अश्वमेध यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है ।  

मकर संक्रान्ति को दान- ( स्कन्द पुराण ) – गाय एवं तिल का उत्तरायण सूर्य अर्थात् मकर संक्रान्ति में दान करने से समस्त कार्यों की सिद्धि तथा परम सुख की प्राप्ति होती है । माघ मास में तीर्थ क्षेत्र में तैल एवं आँवले का नित्य दान , तथा ब्राह्मणों की सेवा के लिए अग्नि प्रज्ज्वलित करना चाहिए तथा स्नान के बाद जल रहित भोज्य पदार्थ का दान करना चाहिए । ब्राह्मण दम्पति को भोजन कराकर वस्त्र तथा आभूषणों का दान करें , दान में कम्बल , वस्त्र , काजल , कर्णपूर , नीलवस्त्र , स्त्रीयों का ललाटाभरण , उपानह एवं रत्नों का गुप्त रूप में दान करते हुए माघ स्नान से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। 

माघ मास के नियम- भूमि पर शयन करते हुए तीर्थ स्नान तथा आज्यं सहित तिल का देवों के प्रीत्यर्थ हवन करने से समस्त कार्यों की सिद्धि तथा सुख की प्राप्ति होती है।

विष्णु धर्मोत्तर पुराण के अनुसार- मकर संक्रान्ति के दिन ब्राह्मणों को वस्त्र दान से महत्फल तथा तिल सहित वृष दान से रोगों से मुक्ति मिलती है । 

शिव रहस्य के अनुसार- मकर संक्रान्ति को कृष्ण तिल युक्त जल से स्नान कर उदर्तन तथा ब्राह्मणों के लिए तिल का दान करें । साथ ही तिल के तेल से शिव मन्दिर में दीप जलावें इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है । ( प्रयाग ) माघ मास में प्रयाग में दशाश्वमेध घाट पर गंगा स्नान करने से दश अश्वमेध यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है ।

 गणेशोत्पत्ति – माघ कृष्ण चतुर्थी तिथि को सभी देवों में अग्रगण्य भगवान गणेश का प्रादुर्भाव हुआ ।

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