गौवंश के संरक्षण के लिए अध्यादेश-
गौवंश संरक्षण अध्यादेश को समझने से पहले यह देखें — गौ – माता को पीट – पीट कर मार डालने की क्रूरतापूर्ण, हिंसक और अमानवीय घटनाओं के घिनौनेपूर्ण व्यौहार पर लगाम लगाये जाने की आवश्यकता लम्बे समय से महसूस की जाती रही है, अब गौवध निवारण अधिनियम में सजा के प्रावधान सख्त किए जाने से उम्मीद जगी है कि लुक छिपकर गौवंश वध करने वाले वध शालाओं और तस्करों में कानून का डर पैदा होगा और गौवंश पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे। आधुनिकीकरण और मशीनीकरण के बावजूद गौवंश कृषी प्रणाली का महत्वपूर्ण आधार है। सनातन जीवनशैली में गाय का दूध -घी अमृत सदृश माना जाता है, जबकि गोबर और मूत्र पवित्र। गाय का संरक्षण पूरी तरह मानवतावादी कृत्य है जिसे वध करना अमानवीय कार्य है। गौ संरक्षण पूर्णतया मानवीय कृत्य है जिसे अमानवीय तरीके अपना कर कद अन्य लागू नहीं किया जा सकता है। जिस भारतीय संस्कृति और धर्म ने गाय की पूजा का प्रवर्तन किया, वह मनुष्य के निर्दय और अमानवीय बहिष्कार या हिंसा का समर्थन कैसे कर सकता है, उसको औचित्यपूर्ण कैसे रोक सकता है? ये ऐसे महत्वपूर्ण और बुनियादी प्रश्न हैं जो न केवल इन कानूनी प्रावधान की प्रासंगिकता और उपयोगिता को उजागर करते हैं, बल्कि इससे गोभक्ति और गो – रोपण की खोज दिशाएं तय हो सकती हैं।
उद्देश्य-
गौवध अधिनियमन 1955 को प्रभावी बनाना
सरकार के मुताबिक इस अध्यादेश का उद्देश्य गौवध निवारण अधिनियम 1955 को अधिक प्रभावी बनाना है। अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद पहली बार में गोकशी का आरोप साबित होने पर 3 साल से लेकर अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान है या 3 लाख से लेकर अधिकतम 5 लाख के जुर्माने का प्रावधान है। वहीं, दूसरी बार गोकशी का आरोप साबित होने पर लक्ष्मण और सजा दोनों का प्रावधान है। गैंगेस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई और संपत्ति रखने करने का भी प्रावधान किया गया है। गौवंश का अंग – भंग करने और जीवन को खतरा पैदा करने के आरोपी को 1 से लेकर 7 साल तक की सजा और 1 लाख से लेकर 3 लाख तक जुर्माने का प्रावधान है।
गाय (स्रोत:flikr)
आस्था
गाय को माता मानने के पिछे यह आस्था है कि गाय में समस्त देवता निवास करते हैं एवं इंसानों को प्रकृति की कृपा भी गाय की सेवा करने से ही मिलती है । भगवान शिव का वाहन नंदी ( बैल ) , भगवान इंद्र के पास समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली गाय कामधेनू भगवान श्रीकृष्ण का गोपाल होना एवं अन्य देवियों के मातृवत गुणों को गाय में देखना भी गाय को पूज्य बनाते हैं । भविष्य पुराण के अनुसार गौमाता के पृष्ठदेश यानि पीठ में ब्रह्मा निवास करते हैं तो गले में भगवान विष्णु विराजते हैं। flikr से एक चित्र उदाहरण के रूप मे देता हूँ
योगी सरकार का ऐतिहासिक फैसला-
मन को खिन्नता से भरने के इन पागलपन की घटनाओं पर नियंत्रण लगाने का उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने साहसिक कदम उठाकर भारत की संस्कृति को जीवंतता देने का सराहनीय कार्य किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गौवंश निवारण अधिग्रहीत नियमों -2020 में सजा के प्रावधान सख्त करने के हृदयस्पर्शी निर्णय से उन करोड़ों प्रदेशवासियों का हृदय स्पर्श किया है जो गौवंश के वध की घटनाओं से आहत होते रहे हैं। योगी एक सच्चे संत से पहले भारतीय संस्कृति के सिफक – पुरुष हैं, उनका गौ – प्रेम नई बात नहीं है। गाय को हमारे यहाँ माता-पिता माना गया है और इस माता पर लम्बे समय से अत्याचार भी हो रहे हैं, भला सच्चा गौ – सेवक शासक इसे कितना धैर्य कर सकते हैं? यही कारण है कि मुख्यमंत्री पद संभालते ही उन्होंने अवैध बूचड़खानों को बंद करवाकर गौवंश की रक्षा कार्य शुरू कर दिया था। परिणामस्वरूप खुल्लमखुल्ला गौवंश वधशालाओं मे गोहत्या कुछ हद तक रुक गई ।
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स्रोत: आंशिक “जनछाया” हिन्दी साप्ताहिक 12 से 18 जून 2020,पृ 7